Tuesday, August 4, 2009

______!!! ये जिंदगी !!!______

मैं दो कदम चलता और एक पल को रुकता मगर...........
इस एक पल जिन्दगी मुझसे चार कदम आगे बढ जाती ।
मैं फिर दो कदम चलता और एक पल को रुकता और....
जिन्दगी फिर मुझसे चार कदम आगे बढ जाती ।
युँ ही जिन्दगी को जीतता देख मैं मुस्कुराता और....
जिन्दगी मेरी मुस्कुराहट पर हैंरान होती ।
ये सिलसिला यूँही चलता रहता.....
फिर एक दिन मुझे हंसता देख एक सितारे ने पुछा..........
“तुम हार कर भी मुस्कुराते हो क्या तुम्हें दुख नहीं होता हार का”

तब मैंनें कहा................
मुझे पता हैं एक ऐसी सरहद आयेगी जहाँ से आगे जिन्दगी..
चार कदम तो क्या एक कदम भी आगे ना बढ पायेगी,
तब जिन्दगी मेरा इन्तज़ार करेगी और मैं......
तब भी युँ ही चलता रुकता अपनी रफ्तार से अपनी धुन मैं वहाँ पहुचुंगा.......
एक पल रुक कर, जिन्दगी को देखूंगा और निकल जाऊंगा मीलों आगे जिंदगी से...
तब मुझे किसी भी हार का भय नहीं होगा,
तब मै मुस्कुराऊंगा अपनी जीत पे
याद करूँगा अपने सफ़र को, जो जिंदगी के साथ बिताये थे
देखूंगा दूर से बेबस जिंदगी को जो मेरे साथ नहीं आ सकती......
और मै निकल जाऊंगा अगले सफ़र को......
जहाँ अनजान रास्ते अनजान हमसफ़र मेरा राह देखती होगी…..

1 comment:

Anonymous said...

wah bhai wah ... dil ko chu gaya ....