Sunday, September 28, 2008

______!!!यादो के झरोखे से!!!______


चँद लम्हो मैं दामन छूट जाएगा,
आज वक़्त है दो बातें कर लो हमसे,
कल क्या पता कौन आपके ज़िंदगी मैं आ जाएगा.



पास आकर सभी दूर चले जाते हैं,
हम अकेले थे अकेले ही रह जाते हैं,
दिल का दर्द किससे दिखाए,
मरहम लगाने वाला ही ज़ख़्म दे जाते हैं,


वक़्त तो हमें भुला चुका है, मुक़द्दर भी ना भुला दे,
दोस्ती दिल से हम इसीलिए नहीं करते,
क्युकी डरते हैं, कोई फिर से ना रुला दे,


ज़िंदगी में हमेशा नये लोग मिलेंगे,
कहीं जयादा तो कहीं कम मिलेंगे,
ऐतबार ज़रा सोच कर करना,
मुमकिन नही हर जगह तुम्हे हम मिलेंगे.


खुशबू की तरह तेरे पास बिखर जाएँगे,
सकून बन कर दिल मे उतर जाएँगे,
महसूस करने की कोशिश तो करना,
दूर होते हुए भी पास नज़र आएँगे


Wednesday, August 13, 2008

______!!!मै नहीं लिखता!!!______


उनको ये शिकायत है.. मैं बेवफ़ाई पे नही लिखता !,
और मैं सोचता हूँ कि मैं उनकी रुसवाई पे नही लिखता!
'ख़ुद अपने से ज़्यादा बुरा, ज़माने में कौन है,
मैं इसलिए औरों की, बुराई पे नही लिखता’

'कुछ तो आदत से मज़बूर हैं और कुछ फ़ितरतों की पसंद है’,
ज़ख़्म कितने भी गहरे हों? मैं उनकी दुहाई पे नही लिखता.!'
'दुनिया का क्या है हर हाल में, इल्ज़ाम लगाती है,
वरना क्या बात? कि मैं कुछ अपनी.. सफ़ाई पे नही लिखता.'



'समंदर को परखने का मेरा, नज़रिया ही अलग है यारों!!
मिज़ाज़ों पे लिखता हूँ मैं उसकी.. गहराई पे नही लिखता.'
'पराए दर्द को , मैं ग़ज़लों में महसूस करता हूँ ,
ये सच है मैं शज़र से फल की, जुदाई पे नही लिखता.'
'तजुर्बा तेरी मोहब्बत का'.. ना लिखने की वजह बस ये!!
क़ि 'शायर' इश्क़ में ख़ुद अपनी, तबाही पे नही लिखता..!!!"


Tuesday, July 15, 2008

______!!! कोई तो होगा !!!______


किसी की आँखों मे मोहब्बत का सितारा होगा
एक दिन आएगा कि कोई शक्स हमारा होगा
कोई जहाँ मेरे लिए मोती भरी सीपियाँ चुनता होगा
वो किसी और दुनिया का किनारा होगा



काम मुश्किल है मगर जीत ही लूगाँ किसी दिल को
मेरे खुदा का अगर ज़रा भी सहारा होगा
किसी के होने पर मेरी साँसे चलेगीं
कोई तो होगा जिसके बिना ना मेरा गुज़ारा होगा



देखो ये अचानक ऊजाला हो चला,
दिल कहता है कि शायद किसी ने धीमे से मेरा नाम पुकारा होगा
और यहाँ देखो पानी मे चलता एक अन्जान साया,
शायद किसी ने दूसरे किनारे पर अपना पैर उतारा होगा,



कौन रो रहा है रात के सन्नाटे मे
शायद मेरे जैसा तन्हाई का कोई मारा होगा
अब तो बस उसी किसी एक का इन्तज़ार है,
किसी और का ख्याल ना दिल को ग़वारा होगाऐ ज़िन्दगी!
अब के ना शामिल करना मेरा नामग़र ये खेल ही दोबारा होगा

Thursday, June 19, 2008

______!!!ढूंढ़ता हू!!!______

सहिलो में समंदर के, रेत के घरोंदे का निशान ढूंढ़ता,
हू अतीत के पन्नो में, अपनी पहचान ढूंढ़ता हू!
बनाये थे उन तस्वीरों में, कुचियो के निसान ढूंढ़ता हू,
सजाये थे जो खवावो में, वो सपनों का माकन ढूंढ़ता हू,
चले थे साथ मिलकर, वो कदमो के निसान ढूंढ़ता हू,
सहिलो में समंदर के, रेत के घरोंदे का निसान ढूंढ़ता हू,
अतीत के पन्नो में, अपनी पहचान ढूंढ़ता हू!
वक़्त के साथ जो दब गए वो अरमान ढूंढ़ता हू,
सपने जो चढ़ सके न, वो परवान ढूंढ़ता हू,
खिजा के फूलो में, बसंत का मुस्कान ढूंढ़ता हू,
पतझर के आंगन में, बहारो के आने का सामान ढूंढ़ता हू,
बुलंद हौसलों में , वक़्त की उडान ढूंढ़ता हू,
सहिलो में समंदर के, रेत के घरोंदे का निसान ढूंढ़ता हू,
अतीत के पन्नो में , अपनी पहचान ढूंढ़ता हू!
अब तीर निकल कर वापस ना आए, वो कमान ढूढता हु,
वक्त के साथ जो ना बदले,वो जुवान ढूढता हु,
दे सकूँ वो मुकम्मल हासिल को, वो इंसान ढूढता हु,
जहाँ सच हो सपने सब के, वो जहान ढूढता हु,
साहिलों में समंदर के रेत के, घरौंदों का निसान ढूढता हु,
अतीत के पन्नो में अपनी, पहचान ढूढता हु!