Monday, June 1, 2009

______!!!क्या बात है!!!______

किताबो के पन्नों को पलट के सोचता हूँ, यूँ पलट जाये मेरी ज़िन्दगी तो क्या बात है
ख्वाबो में रोज मिलता है जो हमेसा, कभी हकीकत में आ जाये तो क्या बात है,
कुछ मतलब के लिए जो ढूंढते है मुझको,वो बिन मतलब जो आये तो क्या बात है
कत्ल करके तो कोई भी लेजयेगा दिल मेरा,कोई बातों से ले जाये तो क्या बात है
जो शरीफों की शराफत में बात न हो, एक शराबी कह जाये तो क्या बात है

जख्मो को दर्द दे गए कई कोई उन जख्मो पर मरहम लगा जाए तो क्या बात है.
यादों में गुजरा वक़्त नजर आता है, कोई उन लम्हों को वापस ले आए तो क्या बात है
लहर-दर-लहर साहिल पर दम तोड़ती है,साहिल ऐसा भी हो जहा लहर जी उठे तो क्या बात है
दोस्तों की दोस्ती में जान देना तमाम है,दुशमन जो दुश्मनी में जान दे जाये तो क्या बात है
अपने रहने तक तो ख़ुशी दूंगा सब को, किसी को 'मेरी' मौत पे ख़ुशी मिल जाये तो क्या बात है